Friday, November 4, 2011

मासुमियत

एक नजर भर जो उसे देख ले,
कोई गुल बोले तो कोई गुलिस्तान,
एक चेहरा ऐसा है नजर में,
तरसे जिसके लिए ये सारा जहाँ ,

प्यार की हसीन मूरत है वो दिल में बसी एक तस्वीर जैसी,
कहीं होगा न उस सा कोई भी, कहाँ होगी मासुमियत ऐसी||

झुकी हुई पलकों से अपनी करती वो सब कुछ बयान है,
कहाँ होगी जन्नत ऐसी जिसकी नजरे उसकी जुबां है||

चांदनी की ठंडक है वो "सूरज" से भी तेज चमक है,
जाती जहाँ भी पल दो पल में ही बिखेरती फूलों सी महक है||