Wednesday, February 29, 2012

इज़हार

पाया है तुझे तो खोने से क्यों डरते हैं ,
तुम हो नहीं हमारे कब इंकार करते हैं ।

तन्हाई का सफ़र तो ऐसे ही कट जायेगा,
मुस्कुरा लेने दे थोडा तेरा क्या जायेगा ,
आँखों को बंद करले अगर मेरी याद आये,
जानते हैं तू भी कभी भुला न पायेगा ।।

महफूज़ रखें तेरी हर याद को इन पलकों में,
बुलाते हो हमे तुम आज भी अपने सपनो में,
फिर डरते क्यों हो हमसे "इज़हार" करने में,
पास आने की सज़ा तुम्हे दे कर न जायेंगे ।।

"सूरज" के सामने बैठ कर तपिश ली है हमने,
जलना हमने भी सीखा है महफ़िल के वीराने में ,
तन्हाई को जीते हैं हम भी सबके साथ बैठ कर,
अब बता रखा क्या है सबको दर्द जताने में   ।।


 

Sunday, February 26, 2012

एक कहानी

एक कहानी शायद जानी पहचानी,
मेरी है ये ,  या है शायद तुम्हारी ,

सुकून भरी जींदगी प्यार की आहट से अंजानी,
हंसती खेलती गुनगुनाती हुई एक जिंदगानी ,
मेरी है ये ,  या है शायद तुम्हारी ,

कोई भी फूल खिल्ला बाग़ में सब थे उसके लिए एक से,
नादान भोली थोड़ी चुलबुली वो थी ,
फिर फर्क करती उन फूलों में कैसे ।।

गुलाब खिले या फिर कोई कँवल मिले,
सबको वैसे ही थी अपनाती,
"सूरज" की तपिश हो या चांदनी की ठंडक,
दोनों को हंस कर थी गले लगाती ।।

मिलती हवा से उड़ती आसमान में,
सोचा न कभी उसने बुरे वक़्त के बारे में,
जीना चाहती थी हर पल हर घडी में,
बिना सोचे कुछ आगे के बारे में ।।

वक़्त आया फिर जब मिली वो उस से,
प्यार था वो या था किस्मत का किस्सा,
चलती रही बिन सोचे उसके साथ में,
एक कशिश सी ले कर अपने दिल में ।।


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