मेरी मंजिल चाहे कोई भी हो, पर रास्ता तुमसे हो कर गुजरता है ।
मेरी चाहत चाहे कुछ भी हो , पर जरूरत तुम्हे पाने की होती है ।।
कुछ लफ्जों में हम तुम्हे समझाएं भी तो क्या ,
हंस कर और दर्द अब छुपायें भी तो क्या ।
कभी पास आकर देख ही लेते हमारे,
चाहत तुम्हे अपने दिल में छुपाने की होती है ।।
कभी हम आपसे तो कभी आप हमसे मिले,
मिल कर हमसे बस रहे भी तो आपको गिले,
काश आपको कोई शिकायत हम भी करते ,
हाँ आज भी एक ललक शिकायत करने की होती है ।।
मेरी जरूरत चाहे कोई भी हो, पर चाहत बस तुम्हे और सिर्फ तुम्हे पाने की होती है,
मेरा रास्ता चाहे कैसा भी हो, तम्मना बस "सूरज" में जलने की होती है ।।
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